आखिर कौन हैं, पद्मश्री बसंती बिष्ट जी व पद्मश्री बसंती देवी जी।

पद्मश्री बसंती बिष्ट जी व पद्मश्री बसंती देवी जी दो अलग-अलग शख्शियत हैं।

उत्तराखंड की 4 शख्शियतों को पदम् सम्मान मिलने के बाद राज्य में खुशी की लहर है। सोशल मीडिया में फ़ोटो डालकर, या पोस्टर बनाकर बधाई सन्देश दिए जा रहे हैं। अधिकतर पोस्टर या फ़ोटो सन्देश में एक बड़ी गलती की जा रही है वो ये कि उनमें बसंती देवी जी की जगह बसंती बिष्ट जी को सम्मान देना बताया जा रहा है। उनकी फोटो लगाई जा रही है। जबकि पद्मश्री बसंती बिष्ट जी को यह सम्मान पहले ही मिल चुका है।

कोसी को बचाने व सामाजिक कार्यों के लिए बसंती देवी देवी जी को मिला है पदम् सम्मान

बसंती देवी को सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है। उत्‍तराखंड में पेड़ों को कटने से बचाना हो या कोसी नदी को नई जिंदगी देना, बसंती देवी का योगदान अतुलनीय है। ‘चिपको आंदोलन’ की धरती से आने वाली बसंती देवी जंगल-जंगल भटकीं और लोगों को समझाया कि पेड़ न काटें नहीं तो नदी सूख जाए। धीमे-धीमे ही सही, सूरत बदलनी शुरू हो गई। साल 2016 में बसंती देवी को महिलाओं के लिए देश के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार, नारी शक्ति पुरस्‍कार से नवाजा गया था।