आज मनाई जा रही है भीम राव अंबेडकर, बाबा साहेब जयंती

भारत का संविधान लिखे जाते वक्त 25 नवंबर, 1949 को उसका अंतिम पाठ पूरा होने के बाद, देश के महान नेताओं में से एक और दलितों के निर्विवादित नेता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने देश के भविष्य के बारे में एक ख़ास बात कही.
डॉ अंबेडकर ने कहा, “26 जनवरी, 1950 को हम विरोधाभासों भरे जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं. राजनीतिक जीवन में तो हमारे पास समानता होगी, लेकिन सामाजिक और आर्थिक जीवन में असमानता होगी.”
भारत ने 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के साथ खुद को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक राज्य होने का एलान कर दिया. अपने भाषण में डॉ आंबेडकर शायद नए गणतांत्रिक राज्य और पुरानी सभ्यता के बीच के अंतर्विरोधों के बारे में इशारा कर रहे थे.
भारत जैसे गरीब और गैर-बराबरी वाले देश में संविधान के ज़रिए छुआछूत ख़त्म करना, वंचितों के लिए सकारात्मक उपाय करना, सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार देना और सबके लिए समान अधिकार तय करना, बहुत बड़ी उपलब्धि थी.
ये उस देश में हुआ, जिसके बारे में महान जर्मन दार्शनिक हीगेल ने कहा था कि भारत लगातार ‘जड़ और स्थिर रहा है.