बरकरार रहा गंगोत्री सीट से जुड़ा जीत और सरकार बनाने का मिथक

उत्तरकाशी। गंगोत्री सीट ही सत्ता की चाबी है। यह मिथक उत्तराखंड की राजनीति में वर्षों से कायम है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी ये मिथक बरकरार रहा। आपको बता दें कि यह मिथक अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से चला आ रहा है। इसी मिथक को इस बार भी गंगोत्री सीट से जोड़कर देखा जा रहा था। नतीजतन भाजपा के प्रत्याशी की जीत के साथ पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है।

गंगोत्री विधानसभा सीट की पूरी कहानी, आंकड़ों की जुबानी..

1974 – काग्रेंस के बलदेव सिंह आर्य जीते और कांग्रेस की सरकार बनी।


1977 – जनता पार्टी से बर्फिया लाल जुवांठा जीते और जनता पार्टी की सरकार बनी।


1980 – कांग्रेस के बलदेव सिंह आर्य जीते और काग्रेंस की सरकार बनी।


1985 – काग्रेंस के बलदेव सिंह आर्य जीते और कांग्रेस की सरकार बनी।


1989 – जनता दल के श्री बर्फियालाल जुवांठा जीते और जनता दल की सरकार बनी।


1991 – बीजेपी के ज्ञान चन्द जीते और बीजेपी की सरकार बनी।


1993 – समाजवादी पार्टी के श्री बर्फियालाल जुवांठा जीते और सपा की सरकार बनी।


1996 – बीजेपी के ज्ञानचन्द जीते और बीजेपी की सरकार बनी।


2002 – कांग्रेस के विजय पाल सजवाण जीते और कांग्रेस की सरकार बनी।


2007 – बीजेपी के गोपाल रावत जीते और बीजेपी की सरकार बनी।


2012 – कांग्रेस के विजयपाल सजवाण जीते।


2017 – बीजेपी के स्वर्गीय गोपाल रावत जीते थे।



2022 – बीजेपी के सुरेश सिंह चौहान जीते। और सरकार भी बनी।